Sunday, September 11, 2016

डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल

जीवन परिचय 

डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल जी का जन्म लखनऊ के प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में सन् 1904 ई. में हुआ था । 

रचनाएं - 

निबंध संग्रह - कल्पवृक्ष, उर ज्योति एवं पृथ्वी पुत्र आदि
समीक्षात्मक ग्रन्थ - मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत और कालिदास रचित मेघदूत की संजीवनी व्याख्या । 
सांस्कृतिक साहित्य- पाणिनकालीन भारत वर्ष एवं हर्ष चरित  आदि ।

भाषा-शैली- 

भाषा- आपकी भाषा शुध्द, परिमार्जित , संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है । इसलिए कही-कही वह कठिन भी हो गई है। सामान्यत: विषयानुरूप सरलता ,सुबोधता और सहज प्रवाह आपकी भाषाकी विशेषता है । आपकी रचनाओं में देशज शब्दों का भी प्रयोग दृष्टिगोचर होता है । विषय की गंभीरता के कारण भाषा  भी गंभीर हो गई है । 
शैली- डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल की शैली में उनके व्यक्तित्व की झलक दिखाई पड़ती है । आपकी शैली के प्रमुख रूप निम्नांकित हैं- 
1. विचारात्मक शैली - आपके निबंधों में विचारात्मक शैली की प्रधानता है।
2. गवेषणात्मक शैली- आप अन्वेषक थे, पुरातत्व के व्याख्याता थे। आप ने अनेक प्राचीन ग्रंथों, घटनाओं, पात्रों आदि से सम्बंधित निबंधों में गवेषणात्मक शैली का प्रयोग किया।
3. भावात्मक शैली- आपने भाव प्रधान निबंधों में इस शैली का प्रयोग किया है। आपकी भावात्मक शैली का रूप काव्यात्मक है।
4. उध्दरण शैली- आपने अपने निबंधों में अपनी बात को पुष्ट करने के लिए संस्कृत के उध्दरणों का बड़ी कुशलता के साथ उध्दृत किया है।
5. सूत्रात्मक शैली- आपने अपने निबंधों में जीवन के सत्य को उद्घाटित करने हेतु सूत्रात्मक शैली को अपनाया है। इसके अतिरिक्त आपने व्यास एवं सामासिक शैली का भी अपनी रचनाओं में उपयोग किया है।

साहित्य में स्थान-

इतिहास, संस्कृत एवं पुरातत्व के मर्मज्ञ; प्रसिद्ध निबंधकार ,समीक्षक, अनुवादक , प्राचीन संस्कृत साहित्य के उन्नायक डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल जी का हिंदी साहित्य में मूर्धन्य स्थान है।

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