प्रेमचन्द
रचनाएँ -
1. पूस की रात ( कहानी ),
2. कफ़न ( कहानी )
3. गोदान ( उपन्यास )
भाषा-शैली
भाषा-
प्रेमचन्द्र जी ने अपनी रचनाओं के लिए हिन्दी - खड़ी बोली का उपयोग किया है । आपकी भाषा सरल, सहज,बोधगम्य एवं व्यवहारिक है । आपने अपनी रचनाओं में अवसरानुकूल उर्दू शब्दों का भी आकर्षक प्रयोग किया है । विषय,भाव,एवं पात्रानुरूप भाषा का प्रयोग आपकी भाषा की सबसे बड़ी विशेषता है। आपकी रचनाओं में मुहावरे तथा लोकोक्तियों की छटा सर्वत्र दिखाई पड़ती है।
शैली -
प्रेमचन्द जी की शैली हिन्दी और उर्दू भाषा की मिश्रित शैली है । आपकी रचनाओं में अनेक शैलियों का प्रयोग हुआ है । उनमें से कुछ शैलियों का विवरण निम्नांकित है -
1. विचारात्मक शैली - इस शैली का प्रयोग आपके निबंध 'कुछ विचार' में देखा जा सकता है ।
2. भावात्मक शैली - आपने कहानी एवं उपन्यास के पात्रों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए इस शैली का बड़ी चतुराई के साथ उपयोग किया है ।
3. मनोवैज्ञानिक शैली - आपकी अधिकांश रचनाओं में इस शैली का उपयोग हुआ है । आपने अपनी कहानी( बूढ़ी काकी ) एवं उपन्यासों में पात्रों के मानसिक द्वन्द्व को इसी शैली के माध्यम से उभारा है ।
आपने इन शैलियों के अतिरिक्त विश्लेषणात्मक, अभिनयात्मक एवं व्यंगात्मक शैलियों का भी उपयोग किया है ।
साहित्य में स्थान -
हिन्दी साहित्य के उपन्यास सम्राट , युग प्रवर्तक कहानीकार प्रेमचन्द जी का नए कहानीकारों में विशिष्ट स्थान हैं । आप आधुनिक हिन्दी साहित्य जगत में कहानी -कला को अक्षुण्ण बनाए रखने वाले कहानीकारों में अग्रगणी हैं ।
कम शब्दों में काफी ज्ञान प्राप्त हुए है
ReplyDeleteThanks for u
ReplyDeleteThanks
Deleteवाह यह हिन्दी के साहित्य का ज्ञान प्राप्त करने का अच्छा स्रोत है । धन्यवाद इस ब्लॉग के लिए ये हम विद्यार्थियों के लिए काफी हद तक मददगार सिद्ध हुआ है 🙏🙏🙏
ReplyDeleteThanks....bahut hi achha h
ReplyDeleteSufficient information in economical words..
ReplyDeleteTq very nice
ReplyDelete����������������
ReplyDelete62603532
ReplyDeleteTysm
ReplyDeleteTqqq
ReplyDeleteTo sir
ReplyDeleteDhanyavad
ReplyDeleteNice sort answer
ReplyDeleteDhanyavaad
ReplyDeleteSo much thanks
ReplyDelete