Friday, November 4, 2016

सियाराम शरण गुप्त

सियाराम शरण गुप्त 

रचनाएँ - 

1. दूर्वादल ( काव्य)
2. पुण्यपर्व ( नाटक )
3. अंतिम आकाँक्षा ( उपन्यास ) 

भाषा- शैली- 

भाषा - 

आपकी भाषा सरल, सुस्पष्ट और परिष्कृत है । आपने खड़ी  बोली के सहजतम रूप का प्रयोग किया है । भाषा में क्लिष्टता , या बौध्दिकता का भार कहीं  दिखाई नहीं पड़ता। आपकी रचनाओं में उक्तियाँ  एवं मुहावरों का स्वाभाविक प्रयोग होने से  भाषा में सजीवता एवं रोचकता आ गई है । विषय, पात्र एवं अवसर अनुरूप भाषा का प्रयोग आपकी भाषा की महत्वपूर्ण विशेषता है । 

शैली - 

आपकी शैली सरल , परिमार्जित एवं स्वाभाविक है । आपकी शैली के प्रमुख रूप निम्नांकित हैं -   
1. भावात्मक शैली - गुप्त जी  अपनी रचनाओं में हृदय की की अनुभूतियों का प्रभावी अंकन एवं पाठकों में अपनी अमिट  छाप छोड़ने के लिए इस शैली का प्रयोग बाखूबी किया है । 
2. विचारात्मक शैली - आपकी कहानियों में इस शैली का प्रयोग देखा जा सकता है । 
3. वर्णनात्मक शैली - 'बैल की बिक्री ' कहानी में मोहन और शिबू आदि के सन्दर्भ में इस शैली का उपयोग किया गया है । 
इसके अतिरिक्त आपने प्रसंगानुसार व्यंगात्मक, सूत्रात्मक शैलियों का भी उपयोग किया है । 

साहित्य में  स्थान -

हिन्दी के विनम्र सेवक और संत साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित सियाराम शरण गुप्त जी का हिंदी साहित्य जगत में महत्वपूर्ण स्थान है। 

1 comment:

  1. Thanks uncle Ji. Some Karen baht so bagging kids pasha Sarah ho Rahi hai.

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