Friday, November 4, 2016

कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'

कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' 

रचनाएँ- 

1. जिन्दगी मुस्कराई ( निबंध) 
2. क्षण बोले : कण मुस्कराए  ( रिपोर्ताज)
3. धरती के फूल ( लघु कथा संग्रह ) 

भाषा - शैली 

भाषा- 

प्रभाकर जी की भाषा में अद्भुत प्रवाह एवं स्वाभाविकता विद्यमान है। आपकी भाषा हिंदी- खड़ी बोली है । हिंदी के  साथ-साथ आपने उर्दू , फ़ारसी एवं अँग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया है । आपकी भाषा में मुहावरों एवं लोकोक्तियों  का सहज प्रयोग हुआ है ।  वाक्य विन्यास की दृष्टि से भाषा में उन्मुक्त प्रवाह एवं काव्यात्मकता के दर्शन होते हैं । मिश्र जी की रचनाओं में वाक्य प्रायः छोटे एवं सुगठित हैं जिनमें सूक्ति -सी संक्षिप्तता एवं अर्थ- गंभीरता है । 

शैली- 

मिश्र जी की शैली के विविध रूप निम्नांकित हैं - 
1. भावात्मक शैली -  मिश्र जी की अधिकांश रचनाएँ इसी  शैली में लिखी गई हैं । ' मैं और मेरा देश' निबंध में इस शैली के दर्शन किए जा सकते हैं । 
2. विचारात्मक शैली - इनके निबंधों में इस शैली का प्रयोग देखा जा सकता है । 
3. रेखाचित्र शैली - आपकी रचनाओं में पाठक के समक्ष कथ्य का एक चित्र सा उभर उठता है । 
आपने अपनी रचनाओं में इन शैलियों के अतिरिक्त वर्णानामक , संवाद एवं व्यंगात्मक आदि शैलियों का प्रयोग किया है ।   

साहित्य में स्थान -

  स्वतंत्र सेनानी, समाजसेवक, गाँधीवादी विचार धारा के पोषक, प्रसिध्द सम्पादक , लेखक , रिपोर्ताज लेखन में  सिध्द हस्त,  उच्चविचारक , आचरण की पवित्रता एवं जीवन की सादगी के  साधक मिश्र जी का हिन्दी साहित्य जगत में विशिष्ट स्थान है । 

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