कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर'
रचनाएँ-
1. जिन्दगी मुस्कराई ( निबंध)
2. क्षण बोले : कण मुस्कराए ( रिपोर्ताज)
3. धरती के फूल ( लघु कथा संग्रह )
भाषा - शैली
भाषा-
प्रभाकर जी की भाषा में अद्भुत प्रवाह एवं स्वाभाविकता विद्यमान है। आपकी भाषा हिंदी- खड़ी बोली है । हिंदी के साथ-साथ आपने उर्दू , फ़ारसी एवं अँग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया है । आपकी भाषा में मुहावरों एवं लोकोक्तियों का सहज प्रयोग हुआ है । वाक्य विन्यास की दृष्टि से भाषा में उन्मुक्त प्रवाह एवं काव्यात्मकता के दर्शन होते हैं । मिश्र जी की रचनाओं में वाक्य प्रायः छोटे एवं सुगठित हैं जिनमें सूक्ति -सी संक्षिप्तता एवं अर्थ- गंभीरता है ।
शैली-
मिश्र जी की शैली के विविध रूप निम्नांकित हैं -
1. भावात्मक शैली - मिश्र जी की अधिकांश रचनाएँ इसी शैली में लिखी गई हैं । ' मैं और मेरा देश' निबंध में इस शैली के दर्शन किए जा सकते हैं ।
2. विचारात्मक शैली - इनके निबंधों में इस शैली का प्रयोग देखा जा सकता है ।
3. रेखाचित्र शैली - आपकी रचनाओं में पाठक के समक्ष कथ्य का एक चित्र सा उभर उठता है ।
आपने अपनी रचनाओं में इन शैलियों के अतिरिक्त वर्णानामक , संवाद एवं व्यंगात्मक आदि शैलियों का प्रयोग किया है ।
साहित्य में स्थान -
स्वतंत्र सेनानी, समाजसेवक, गाँधीवादी विचार धारा के पोषक, प्रसिध्द सम्पादक , लेखक , रिपोर्ताज लेखन में सिध्द हस्त, उच्चविचारक , आचरण की पवित्रता एवं जीवन की सादगी के साधक मिश्र जी का हिन्दी साहित्य जगत में विशिष्ट स्थान है ।
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