Tuesday, December 19, 2017

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल 

रचनाएँ :-

1. चिंतामणि भाग 1 एवं 2  ( निबंध संग्रह ) 
2. हिंदी साहित्य का इतिहास  ( इतिहास ) 
3. हिन्दी काव्य में रहस्यवाद ( समालोचना ) 

भाषा-शैली -

भाषा -आचार्य शुक्ल जी की भाषा तत्सम शब्दों से युक्त शुद्ध ,परिमार्जित खड़ी बोली है ।  आपकी भाषा आडम्बर रहित  विषय के अनुरूप है, इसलिए कहीं- कहीं वह क्लिष्ट हो गई है । सामान्यतया आपकी भाषा सरस.सजीव एवं स्वाभाविक है । मुहावरों और खड़ी बोली के प्रयोग से भाषा रोचक बन गई है । आपकी भाषा पूर्णतः व्याकरण सम्मत है । भाषा प्रवाह पूर्ण एवं सूक्तियों से ओत-प्रोत  है । जैसे - " बैर क्रोध का आचार और मुरब्बा है । " 

शैली -शुक्ल जी शैलियों के सर्जक माने  जाते हैं । शुक्ल जी ने प्रमुख रूप से समास शैली , व्यास शैली , वर्णनात्मक शैली, सूत्रात्मक शैली , समीक्षात्मक शैली और गवेषणात्मक शैली को अपनाया है।  इसके अतिरिक्त हास्य-विनोद और व्यंग्य प्रधान शैली का भी प्रयोग किया है।  

साहित्य में स्थान -   आधुनिक निबन्ध साहित्य में शुक्ल जी युग प्रवर्तक साहित्यकार हैं।  वे मौलिक चिंतक,गंभीर-विचारकऔर समालोचक के रूप में चिर-स्मरणीय रहेंगे।  



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