आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
रचनाएँ :-
1. चिंतामणि भाग 1 एवं 2 ( निबंध संग्रह )
2. हिंदी साहित्य का इतिहास ( इतिहास )
3. हिन्दी काव्य में रहस्यवाद ( समालोचना )
भाषा-शैली -
भाषा -आचार्य शुक्ल जी की भाषा तत्सम शब्दों से युक्त शुद्ध ,परिमार्जित खड़ी बोली है । आपकी भाषा आडम्बर रहित विषय के अनुरूप है, इसलिए कहीं- कहीं वह क्लिष्ट हो गई है । सामान्यतया आपकी भाषा सरस.सजीव एवं स्वाभाविक है । मुहावरों और खड़ी बोली के प्रयोग से भाषा रोचक बन गई है । आपकी भाषा पूर्णतः व्याकरण सम्मत है । भाषा प्रवाह पूर्ण एवं सूक्तियों से ओत-प्रोत है । जैसे - " बैर क्रोध का आचार और मुरब्बा है । "
शैली -शुक्ल जी शैलियों के सर्जक माने जाते हैं । शुक्ल जी ने प्रमुख रूप से समास शैली , व्यास शैली , वर्णनात्मक शैली, सूत्रात्मक शैली , समीक्षात्मक शैली और गवेषणात्मक शैली को अपनाया है। इसके अतिरिक्त हास्य-विनोद और व्यंग्य प्रधान शैली का भी प्रयोग किया है।
साहित्य में स्थान - आधुनिक निबन्ध साहित्य में शुक्ल जी युग प्रवर्तक साहित्यकार हैं। वे मौलिक चिंतक,गंभीर-विचारकऔर समालोचक के रूप में चिर-स्मरणीय रहेंगे।
Ati sundar
ReplyDeleteमनमोहक है मन आनंदित् हो गया
ReplyDeleteManmohak
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