Tuesday, December 19, 2017

तुलसीदास

तुलसीदास 

 रचनाएँ 

1. रामचरित  मानस  ( महाकाव्य ) 
2. विनय पत्रिका 
3. कवितावली 

 भाव -पक्ष - 

1. भक्ति भावना - तुलसीदास राम भक्ति शाखा के प्रतिनिध कवि हैं। उनका सम्पूर्ण  काव्य राम की भक्ति भावना से ओत-प्रोत है । 
2.  समन्वयवादी दृष्टिकोण - आपके आराध्य राम थे किन्तु आपने सभी देवी देवताओं की स्तुति कर शैव  वैष्णवों के मतभेद को दूर किया है । 
3. लोकमंगलकारी एवं लोकरंजक काव्य  सृजन - आपकी रचना 'सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय ' से युक्त  है । 
4. रससिध्दता - आपकी रस सिद्ध कवि  है । आपके  काव्य में श्रृंगार, शांत और वीर रस की त्रिवेणी का अद्भुत संगम है ।  इसके अतिरिक्त आपकी रचनाओं में करुण, रौद्र, अद्भुत आदि सभी रसों  का रसस्वादन किया जा सकता है । 

कला -पक्ष 

1. भाषा - आप संस्कृत के  प्रकाण्ड विद्वान थे । आपने अपनी रचनाओं में मुख्यतः अवधी  और ब्रज भाषा  का प्रयोग किया है । रामचरित मानस अवधी में तथा तथा कवितावली , गीतावली,  विनय पत्रिका  आदि की  रचना ब्रज भाषा में की  है। आपकी भाषा सरल,सरस, एवं रोचक है । कहीं -कहीं आपकी रचनाओं में भोजपुरी, बुंदेलखंडी तथा अरबी और फ़ारसी के शब्द भी मिलते हैं  । 
2. छंद एवं अलंकार - आपने मुख्यतः दोहा, चौपाई, सवैया छंदों का प्रयोग किया है ।  दोहा , चौपाई , कवित्त छंद में रामचरित मानस की रचना की ।  गीतावली , विनयपत्रिका  पद शैली में और कवितावली की रचना सवैया में किया । दोहावली की रचना दोहा छंद में की ।  
आपकी रचनाओं  में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि  अलंकारों की छटा दृष्टव्य है । 

साहित्य में स्थान - 

 युगदृष्टा गोस्वामी तुलसीदास जी भक्तिकाल के प्रतिनिधि कवि हैं । भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्य के कुशल चितेरे, लोकमंगल एवं  लोकरंजक काव्य   के सर्जक , रामचरित मानस जैसे महान ग्रन्थ के प्रणेता,   करुणा के कवि , तुलसीदास जी का साहित्य जगत में अनुपम स्थान है । 

29 comments:

  1. Little satisfactory only missed ras

    ReplyDelete
  2. Birth and dath date bhi add karo

    ReplyDelete
  3. अच्छा नहीं है।

    ReplyDelete
  4. The head is a little simpler

    he is Tough

    ReplyDelete